हमर राज पार्टी के सदस्यों ने मनाया राज भाषा दिवस, छत्तीसगढ़ महतारी की हुई आरती, कहा – ढाई करोड़ छत्तीसगढ़ियों का सम्मान है छत्तीसगढ़ी।

भास्कर न्यूज24/वीरेन्द्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा। हमर राज पार्टी के सदस्यों ने राज भाषा दिवस मनाया। इस दौरान शहर के संजारी क्लब के महतारी अंगना में छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा अर्चना की गई। कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित करते हुए हमर राज पार्टी के जिलाध्यक्ष देवेंद्र साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी ढाई करोड़ छत्तीसगढ़ियों का सम्मान है। छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी की लड़ाई राज्य बनने से पहले की है। राज भाषा का दर्जा मिलना आधी सफलता है। पूरी सफलता 8 वीं अनुसूची में शामिल होने पर मिलेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी जब तक राज-काज और सरकारी संस्था में उपयोग नहीं होगा तब तक लड़ाई जारी रहेगा।
हमर राज पार्टी के जिला प्रवक्ता एवं छत्तीसगढ़ महतारी सेवा मंच के संरक्षक संजय सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा हमारी महतारी भाषा है। यह हमारी पहचान है। छत्तीसगढ़ी का शुरू से ही समृद्ध एवं गौरवशाली इतिहास रहा है। हीरालाल काव्योपाध्याय जी ने 1885 में ही छत्तीसगढ़ का व्याकरण लिख दिया है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद प्रतिष्ठित जनरल ऑफ एसियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल में 1890 में प्रकाशित भी हुआ है। छत्तीसगढ़ी भाषा में अनेक कविताएं, नाटक, निबंध, शोध ग्रंथ लिखे गए हैं। हमारे कई गीतों को बॉलीवुड के फिल्मों में उपयोग में लाया गया। लेकिन इसके बाद भी छत्तीसगढ़ी को उचित स्थान मिल नहीं पाया।
हमर राज पार्टी के जिला सलाहकार ललित कांवरे ने कहा कि छत्तीसगढ़ी की महत्ता केवल आंचलिक दृष्टि से नहीं बल्कि एक अत्यंत प्राचीन संस्कृति के इतिहास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ी को 8 वीं अनुसूची में शामिल करने और संवैधानिक मान्यता मिलने से ही छत्तीसगढ़ के लोगों को लाभ होगा। छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई कर रहे युवाओं का भविष्य भी बेहतर हो पाएगा। जिला सचिव किशोर नाथ योगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी को प्रशासनिक शब्दकोष के रूप में उपयोग में लाने से छत्तीसगढ़ी बोल कर और छत्तीसगढ़ी समझ कर सरकारी अफसर बेहतर ढंग से आपसी सामंजस्य स्थापित कर पाएंगे। इस दौरान हमर राज पार्टी के टंडन लाल कांवरे, महासचिव भगवान दास साहू, ललित कांवरे, दिनु कोमर्रा, रामकुमार मंडावी, सोमकान्त ढीमर, नेमीचंद कौमार्य, लोकेश सूर्यवंशी, कामिनी धुर्वे, तरुणा धुर्वे, ईशा ठाकुर, सूरज कोमर्रा, ताम्रध्वज साहू, दुखु साहू, परदेशी नेताम, परदेशी यादव, टिकेश्वर साहू, देवकुमार साहू, घनश्याम कुमार, यामन साहू, दीनदयाल साहू प्रमुख रूप से मौजूद रहे।