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माँ दंतेश्वरी की नगरी दंतेवाड़ा में हुई फागुन मंडई की शुरूआत

कवि सिन्हा
दंतेवाड़ा। मांई दंतेश्वरी मंदिर में डेरी गड़ाई रस्म के साथ फागुन मंडई की शुरूआत हो गई। बसंत पंचमी पर यह रस्म निभाई जाती है। इसके लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। आज परम्परा अनुसार सुबह गरूण स्तंभ के सामने पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद त्रिशुल खंभ को स्थापित किया गया। इसे डेरी गड़ाई रस्म कहा जाता है। इस विधान में लगभग ढ़ाई सौ साल पुराने अष्ठ धातुओं से निर्मित ऐतिहासिक त्रिशुल स्तंभ को मंदिर के सामने स्थापित किया गया। इसके साथ ही परम्परिक फागुन मंडई की शुरूआत भी आज हो गई। मंदिर के प्रधान पुजारी हरेन्द्र नाथ जिया ने विशेष पूजा-अर्चना की।

 इस रस्म के दौरान 12 लंकवार, गायता, सेठिया, पेरमा, समरथ, कतियार, चालकी, भोगीहार, पड़ियार, माधुरी, तुड़पा, बोड़का, लादुरा उपस्थित थे। आज ही शाम चार बजे दंतेश्वरी मंदिर से माईजी के छत्र व लाठ को लेकर पुजारी बस स्टैण्ड स्थित चौराहे पर पहुंचे। यहां मांई जी के छत्र को जवानों ने हर्ष फायर कर सलामी दी। इसके बाद छत्र पर आम का बौर मुकुट बनाकर पहनाया गया। इस रस्म को आमामउड़ रस्म कहते हैं। यहां शहर के रहवासियों ने भी छत्र पर बौर चढ़ा कर पूजा- अर्चना की। इस बार फागुन मंडई 16 से 28 मार्च तक होगी।

आज की डेरी गढ़ाई रस्म के दौरान जिया परिवार से लोकेन्द्र नाथ जिया, शैलेन्द्र नाथ, परमेश्वर नाथ, गिरिश, मंदिर से जुड़े त्रिनाथ पटेल, मुकुंद ठाकुर, सुखराम नाग, बंशी, धनसिंह ठाकुर, धनीराम, शिवचंद समेत मंदिर के सभी सेवादार, मांझी और चालकी उपस्थित थे।

Kavi Sinha

संपादक, द दंतेवाड़ा फाइल्स

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