प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह खत्म: तुलिका कर्मा

दंतेवाड़ा। भाजपा के राज में समूचा छत्तीसगढ़ अंशात हो गया है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी असुरक्षित है जिस पर जिला पंचायत अध्यक्ष तुलिका कर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या इस बात को साबित करती है कि भाजपा सरकार में भ्रष्ट और अपराधियों के हौसलें किस कदर बुंलद है। हत्या के बाद जिस ढंग से शव छिपाने साजिश की गई यह किसी महानगर की अपराधिक प्रवृत्ति को प्रदर्शित करती है वहीं कुछ माह पहले बस्तर के 4 पत्रकारों को भाजपा के गुंडे और रेत माफियाओं द्वारा पुलिस से सांठगांठ कर गांजा तस्करी के फर्जी मामले में फंसाकर जेल भेज दिया गया । माफियाओं और भ्रष्टाचारियों को भाजपा सरकार में अपराध करने बस्तर में खुली छूट मिल रही है । राज्य सरकार कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि जनहित के सभी मोर्चो पर बुरी तरह विफल है। छत्तीसगढ़ एक केन्द्र शासित प्रदेश बन गया है जहां विष्णु देव साय सरकार अनिर्णय और अनिश्चितता के साय में वक्त गुजार रही है। सरकार को कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
पूरे केन्द्र के हिसाब से यहां सरकार चलाई जा रही है, जो लोकतंत्र के निर्वाचित प्रक्रिया पर भी कुठाराघात है। आगे तुलिका ने कहा बस्तर जैसे विषम परिस्थिति वाले इलाकें में पत्रकार जान जोखिम में डालकर अपना दायित्व निभा रहे हैं। सच उजागर करने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। लोकतंत्र का परचम पत्रकार ही बस्तर में थामे हुए हैं। उनपर भी हमले हो रहे हैं, उनकी हत्या हो रही है। यह सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है, जो सरकार लोकतंत्र के पहरेदारों की हिफाजत नहीं कर पा रही है उनसें आम नागरिकों की सुरक्षा की उम्मीद करना बेमानी है। बीजापुर के पत्रकार ने भ्रष्टाचार को उजागर किया तो उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। इस मामले में आरोपी ठेकेदार के खिलाफ अब प्रशासन कार्रवाई की बात कर रही है। उनके अतिक्रमण पर बुलडोजर चला रही है। पहले यह कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या सरकार को पत्रकार के ऊपर हमलें और इस बड़ी अनहोनी का इंतजार था? पूरे प्रदेश में अराजगकता की स्थिति है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक जन सामान्य में असुरक्षा का भाव है। राजधानी तक में एक दिन में पांच-पांच हत्याएं हो जाती है और सरकार हांथ पर हाथ धरे बैठे रहती है। इस सरकार से न तो प्रदेश संभल रहा है और न ही यहां के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस फैसले लेने का साहस है। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या बेहद विचलित करने वाली घटना है। नैतिकता के नाते गृहमंत्री को पद त्याग देना चाहिए और लोकतंत्र की रक्षा के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत है।