सुनी-अनसुनी (भाग-11)

अब हर सोमवार पढ़िए दंतेवाड़ा जिले से जुड़ी सुनी-अनसुनी बातें…
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश संगम और कवि सिन्हा की कलम से…
बैलाडीला का नया डॉन, सोंडी भाई !
जिस इलाके में एक वर्दीधारी ने खुद को प्रदेश का डॉन बताया था, उसी इलाके में अब एक नया डॉन आ गया है। सोंडी नामक इस डॉन से तो लौहनगरी के लोग खौफ खाने लगे है। सोंडी का एक मामला सामने आने के बाद अब हर व्यक्ति अपने मोबाईल में सोंडी की तस्वीर लिये घूम रहा है। क्या पता कब सोंडी पूछ ले, तू सोंडी को जानता है या नहीं। बीते दिनों एक शख्स ने सोंडी को जानने से इंकार कर दिया था, नतीजा ये हुआ कि उस शख्स को अस्पताल पहुंचाना पडा था। वैसे इस शहर के वर्दीधारी डॉन को हमने पहले ही बता दिया था कि इस इलाके में बहुत सारे डॉन रहते हैं। अब इलाके का सुपर डॉन कौन है ये जनता पूछ रही है, क्या सोंडी या फिर वर्दीधारी डॉन।
सांय सांय या गुप्त गुप्त !
प्रदेश के मैदानी इलाकों में नही बल्कि अब नक्सल प्रभावित जिलों में भी विकास का पहिया सांय सांय चलेगा। इसके लिये गुप्त तरीके से तैयारियां शुरू की गयी है। तरीका गुप्त ही रहेगा, निविदा भले ही खुली लगी हो। एक ऐसी निविदा सामने आयी जिसमें कार्यों को जल्द से जल्द निपटाने की तैयारी की गयी है। काम शुरू होने से पहले वो ठेकेदार परेशान हैं, जिनको ये काम करना है और वो भी जो ये समझ नहीं पा रहे हैं कि इतना बडा टेंडर ओपन कैसे लग गया। खैर, लंबे समय बाद लगे इस टेंडर का फार्म यूं तो एक विभाग दे रहा है, लेकिन विभाग की मैडम ने शर्त ऐसी रखी कि निविदा फार्म नहीं लेने में ही अधिकांश ठेकेदार भलाई समझ रहे है। यहां सब कुछ तय है, तभी तो सांय सांय विकास होगा।
दंतेवाड़ा का पहला सुपर मार्केट
दंतेवाड़ा का पहला सुपर मार्केट हाई स्कूल रोड़ पर खुल चुका है। इस मार्ट घरेलू जरूरत की सारी सामग्री उपलब्ध है। इस मार्ट की खासियत है उच्चतम क्वालिटी औऱ न्यूनतम दर। नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी प्रशांत अग्रवाल द्वारा यह मार्ट खोला गया है, वहीं इसे संभालने का जिम्मा उठाया है सूरज अग्रवाल ने। अब छत के नीचे सभी सामग्रियों के मिलने से दंतेवाड़ा के ग्राहक काफी खुश हैं।
यहां हेल्मेट अनिवार्य है!
दुपहिया वाहन चालकों को हादसे से बचने यातायात पुलिस हेल्मेट अनिवार्य रूप से लगाने की समझाईश देती है। लेकिन इन दिनों कुछ ऐसे हादसे होने लगे हैं, जिनमें यातायात पुलिस तो नहीं लेकिन आप स्वयं ही हेल्मेट लगाने पर मजबूर हो जाओगे। आप सिनेमा हॉल जा रहे हों या फिर गीदम के अस्पताल। दोनों ही जगहों पर अब हेल्मेट पहनना अनिवार्य होगा। ये नियम भले ही जिले में लागू न हो, पर वर्तमान में जिले की परिस्थितियां देख आप स्वयं ये नियम बनायंे और आसपास के लोगों से इसका पालन करायें। बीते दिनों शहर के सिनेमा हाल की सीलिंग गिरी और अब पडोसी शहर के अस्पताल की सीलिंग गिरी है। खैर, अपनी सुरक्षा अपने हाथ वाली बात है। देखना होगा कि इन दोनों जगहों के अलावा बारिश में और कितनी जगहों पर हेल्मेट की अनिवार्यता आम आदमी लागू करेगा।
हमर सहायक आयुक्त
नए वाले ऐसी साहब इतना दौरा कर रहे हैं कि शाम को कन्या छात्रावास में घुस जा रहे हैं। साहब का रिटायरमेंट कुछ महीनों में होने वाला है पर अभी तक उन्हें ये ही नहीं पता कि शाम को कन्या छात्रावास में कोई पुरुष नहीं जा सकता। साहब को दौरा करने का इतना भूत चढ़ा हुआ है कि ऑफिस में बहुत कम समय देते हैं हमेशा बस दौरा-दौरा। वैसे साहब आश्रमों की गुणवत्ता सुधारने लगातार प्रयास कर रहे हैं। अन्दुरुनी इलाकों के बच्चों को मीनू अनुसार भोजन मिल सके इसका वो खास ख्याल रख रहे हैं, जिससे मलाई खाने के लिए बने आश्रम अधीक्षक ख़ौफ़ में हैं कि कब साहब आ पहुँचे।
डॉन को गुस्सा क्यों आता है
प्रदेश के वर्दीधारी डॉन छोटी छोटी बातों पर भडक जाते हैं। ऐसा ही एक वाक्या देखने को मिला जब इस डॉन ने पब्लिक प्लेस में ही भद्दी गालियां देनी शुरू कर दी। दरअसल आपदा के बाद अफसर मौके का जायजा ले रहे थे। इस दौरान यहां एक सुराप्रेमी भी पहुंचा। फुल टाईट सुराप्रेमी भी आपदा पीडित ही था। ये भी साहब लोगों को अपनी परेशानी बता ही रहा था कि वहां मौजूद डॉन ने इसे साईड में ले जाकर जमकर भद्दी गालियां दे डाली। इसके बाद भी डॉन का गुस्सा शांत नहीं हुआ। थोडी देर बाद रैनकोट की व्यवस्था नहीं किये जाने को लेकर एक बार फिर डॉन का गुस्सा सातवें आसमान में जा पहुंचा। फिर क्या था, डॉन ने इस बार कंपनी को ही भद्दी गालियंा दे डाली। माना , डॉन साहब का गुस्से पर कंट्रोल नहीं होता, लेकिन माहौल भी देख लिया करें तो बेहतर होगा। जिस वक्त ये गालियां दे रहे थे वहां बडी संख्या में महतारियां भी मौजूद थी।
चलते-चलते
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण पूरा जिला आज मलेरिया और ड़ेंगू की चपेट में आ चुका है। खुले नालियों को ना ढका जा रहा है और न ही दवाईयों का छिड़काव किया जा रहा है। मौसमी बीमारी जिले में अपने चरम पर है पर किसी को कोई मतलब नहीं है। जागरूकता कार्यक्रम के नाम पर बस विभाग दिखावा कर रहा है और बड़ी रकम निकालकर अधिकारी अपने जेब में डाल रहे है। पक्ष और विपक्ष के बड़े नेता इस मामले चुप्पी साधे बैठे है किसी ने अभी तक विभाग की बैठक लेकर उनका एजेंडा नहीं पूछा।