सुनी-अनसुनी

सुनी-अनसुनी (भाग-07)

अब हर सोमवार पढ़िए दंतेवाड़ा जिले से जुड़ी सुनी-अनसुनी बातें…

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश संगम और कवि सिन्हा की कलम से…

सकते में संभाग
बीते दिनों बस्तर संभाग उस वक्त सकते में आ गया, जब राजधानी से मैडम के आने की खबर मिली। मैडम ने भी संभाग स्तरीय बैठक मांईजी की नगरी में लेने का फैसला लिया। मैडम के तेजतर्रार मिजाज के चलते बस्तर के अफसर तो सकते में आ गये। उपर से मैडम के दो दिवसीय दौरे ने तो बची खुची नींद ही उडा दी। मैडम के बारे में बताया जाता है कि वो अपने शब्दों का बाण छोडने से पहले किसी का ओहदा नहीं देखती। इधर मैडम के दौरे से दो दिन पहले से ही उनके आगमन, ठहरने, खान पान इत्यादि की जिम्मेदारियां अलग अलग विभाग को सौंप दी गयी। हर कोई तन मन लगाकर इस कार्य में जुटा रहा, ताकि किसी भी हाल में मैडम के कोप का शिकार न होना पडे। खैर पहली बैठक में मैडम ने एक अफसर को एक महीने का समय भी दे दिया है।

नेताजी ने बदला विभाग
दक्षिण बस्तर में एक नेताजी खुद को लोगों का हमदर्द बताने पीछे नहीं रहते। पूर्व की भाजपा सरकार में भी इन्होने जमकर जनहित के कार्य किये। सत्ता बदली तो पांच साल निष्क्रिय रहे, लेकिन अब नेताजी एक बार फिर सक्रिय हो चले है। पांच साल पहले इनकी धमक ऐसी कि अफसरों को जिले के मुखिया के चेंबर में बुलवा लेते। लेकिन अब धमक पुरानी वाली नहीं रही कि अफसरों को मनचाहे चेंबर में बुलवा ले, बेचारे अब खुद ही विभाग विभाग जाने को मजबूर हैं। नेताजी ने भी अब विभाग बदल लिया है, कभी पीएचई तो कभी विद्युत विभाग के दफ्तरों में ये दिखाई देते है। पहले नेताजी सडक हादसों में घायलों पर विशेष नजर भी रखते थे, कभी रास्ते में कोई घायल मिल जाये तो पहले कैमरा चालू होता, फिर नेताजी गाडी से बाहर आते, घायल को अपनी गाडी में डालते, फिर कैमरे की रिकार्डिंग बंद, इसके बाद दुबारा अस्पताल में कैमरा चालू, नेताजी घायल को स्ट्रेचर पर लादकर अस्पताल के भीतर ले जाते। इस तरह नेताजी मीडिया का भी आधा काम कर देते थे। परेशानी ये थी कि इनके वीडियो में घायल से ज्यादा वे खुद ही दिखते थे। घायल की एकाध झलक दिख जाये तो बडी बात है।

अपने-अपने भविष्य की चिंता
अभी हाल ही में जारी हुए 10वीं-12वीं के परीक्षा परिणाम बेहद ही चौकानें वाले हैं। जिले का परीक्षा परिणाम तीन नबंर से फिसलकर 11 वें नंबर पर आ गया। जहां एक ओर दंतेवाड़ा जिला हमेशा परीक्षा परिणाम में अपना लोहा मनवाता था लेकिन इस बार परिणाम आते ही सभी माता-पिता मायूस नजर आए। अब इस परिणाम की वजह की बात करें तो उच्च अधिकारियों का शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देना कहा जा रहा है। शिक्षा विभाग में शिक्षा कम और कुर्सी की लड़ाई ज्यादा दिख रही है। हर दूसरे दिन निर्माण कार्य, सप्लाई कार्य को लेकर विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहतें हैं। ऐसे में बच्चों के भविष्य को लेकर पालक चिंतित नज़र आ रहें हैं। महत्वपूर्ण विषय के शिक्षक अटैच करा लंबे समय से विभाग में जमे हुए हैं। कुछ शिक्षकों को बच्चों के भविष्य से कोई मतलब नहीं उन्हें सिर्फ मलाईदार आश्रम मिल जाए बस हमेशा इसी जुगत में लगे रहते हैं।

चार के बाद मिलो
सबकी जबान पर अभी एक ही बात है चार के बाद मिलो। चार जून को लोकसभा चुनाव की गिनती है उसके बाद आदर्श आचार संहिता खत्म हो जाएगी। छोटे ठेकेदार से लेकर बड़े ठेकेदार सभी अपनी सेटिंग लगाने में जुटे हुए है। अपने खास मंत्री व अधिकारी के पास पहुँच अपनी स्कीम बता रहे हैं और आगे की प्लांनिग तैयार कर रहे हैं। जिले के एक बड़े ठेकेदार ने बताया कि साहब (मंत्री जी) से बात हो गई है बोले हैं चार तारीख के बाद मिलो काम हो जाएगा बस पूरी तैयारी रखना।

सरोवर नहीं सूखने दूंगा
महोदय ने अपने कार्यकाल में ऐसे भी कार्य कराये जिससे प्राकृतिक जल स्त्रोत भी अस्तित्व बचाने की जुगत में लग गये है। सौंदर्यीकरण के नाम पर गीदम दंतेवाडा रोड की एक तालाब को भरी बारिश में खाली करा डाला, तो वहीं डंकिनी में वाल निर्माण के नाम पर उसके प्राकृतिक रूप को ही बिगाड डाला। इधर इन कार्यों के बाद महोदय ने एक नये सरोवर का निर्माण भी करा डाला जो अब नामकरण के लिये तरस रहा है। दरअसल करोडों के मंदिर कॉरीडोर में बारिश के बाद एक नया सरोवर पनप जाता है जो चंद घंटों बाद गायब भी हो जाती है। बारिश के बाद इस सरोवर को सुखाने चार लोग घंटो लगे रहते हैं, कह सकते है कि महोदय ने इस सरोवर से चार बेरोजगारों को रोजगार भी दे दिया।

और अंत में…
पहली बारिश ने बिजली विभाग को पोल खोल कर रखा दी है। परसों हुई बारिश से बिजली की आँख मिचौली शुरू हो गई। दिनभर बिजली आती-जाती रही। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने भी बचते रहे। थोड़े से बारिश में दंतेवाड़ा समेत कटेकल्याण, बचेली, किरन्दुल समेत अन्य जगहों पर कई-कई घण्टे बिजली बंद रही। अब सोचने वाली बात यह है कि जिला मुख्यालय का ये हाल है तो अंदरुनी इलाकों का क्या हाल होगा ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

Kavi Sinha

संपादक, द दंतेवाड़ा फाइल्स

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