सुनी-अनसुनी

सुनी-अनसुनी (भाग-10)

अब हर सोमवार पढ़िए दंतेवाड़ा जिले से जुड़ी सुनी-अनसुनी बातें…

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश संगम और कवि सिन्हा की कलम से…

सफाई अब ठेकेदारों के हाथ
जिला अस्पताल क़ी सफाई व्यवस्था अब जल्द ही ठेकेदार संभालेंगे। सफाई कार्य हेतु निविदा का प्रकाशन हो चुका है, जल्द ही वर्क ऑडर भी हो जाएगा। इधर वर्षों से कार्य कर रहे सफाई कर्मियों ने अस्पताल प्रबधंन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। सफाई कर्मियों का मानना है कि सफाई व्यवस्था का ठेका होने के बाद सभी पुराने कर्मचारियों को निकाल दिया जाएगा और भविष्य में रेगुलर होने का चांस भी हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। दो दिन से अस्पताल में सफाई नहीं होने के कारण पूरी सफाई व्यवस्था मानों खत्म सी हो गई है। सफाई कर्मचारी अब विधायक से मिल इस टेंडर को रोकने की मांग कर सकते हैं पर उम्मीद काफी कम दिख रही है। वहीं इस मामले में विपक्ष किस तरह सफाई कर्मचारियों की मदद करता है यह भी देखने वाली बात रहेगी। वैसे युवा कांग्रेस इस मामले में सख्त रवैया अपना सकता है ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं।

पत्ता हिला, बिजली काट, रिसीवर हटा
दंतेवाड़ा में इन दिनों बिजली की बड़ी समस्या आन पड़ी है। लोग हवा के झोंकों से भी थर्राने लगे। दरअसल हल्की हवा चले और पेड़ के पत्ते हिले तो बिजली गुल। ऐसा लगता है मानो बिजली काटने को आतुर विभाग ने एक कर्मचारी को पेड़ के पत्तो पर नजर रखने के लिए नियुक्त किया है। उस कर्मचारी की नजर में जैसे ही कोई पत्ता हिलता हुआ नजर आता है, वो तत्काल ही अन्य कर्मचारियों से कहता है- पत्ता हिला, पत्ता हिला, बिजली काट और रिसीवर हटा। बिजली काटने की बाद फोन का रिसीवर हटाना भी बेहद जरूरी है, नहीं तो लोग फोन कर बिजली गुल की समस्या नोट करायेंगे। पत्ते हिलने के साथ ही बारिश हो जाये तो, तो क्या। सबको पता है घंटों बिजली नहीं आती और तमसो मा ज्योतिर्गमय का जप करते रहो।

गोबर की सडक !
पूर्व की सरकार ने गोबर का सही उपयोग कर लाभ कमाने की योजनाएं बनाई। गोबर खाद को बढावा देने के साथ ही सरकार ने सरकारी भवनों को गोबर पेंट से पुतवाया भी। लेकिन उस सरकार की गोबर से सडक बनाने जैसी योजना नहीं थी। सरकार बदली तो एक तरीके से इस पर भी प्रयोग किया गया। नक्सल प्रभावित अरनपुर इलाके में इस तरह की एक सडक माननीयों ने बनाई है। देखकर लगता है मानो ये डामर की नहीं बल्कि गोबर की सडक है। खास बात ये भी है कि इस सडक का कार्य डाॅ साहब के कार्यकाल में शुरू हुआ था, और खत्म अभी किया। जैसे अच्छी बारिश के बाद गोबर धुल जाता है, वैसे ही इनके द्वारा बनायी गयी सडक भी धुल ही जायेगी, जिसे लगता है इस सडक की गुणवत्ता अच्छी है वे चम्मच लेकर एक सिरे से खरोंचकर देख सकते हैं।

जय जगन्नाथ
दंतेवाड़ा में रथ यात्रा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। जिलेवासी व आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ मंदिर पहुँच रथयात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। तीन सालों से लगातार उत्कल समाज द्वारा रथ यात्रा का पर्व मनाया जा रहा है। इस वर्ष उड़ीसा से 50 सदस्यीय कीर्तन मंडली भी पहुँची थी, जो रथ के आगे भजन करते चल रहे थे।

करोड़ों का गोठान
शहर के हृदय स्थल में करोड़ों की लागत से एक गोठान बना हुआ है। इसी गोठान से होकर रोज़ाना सैकडो वाहनों की आवाजाही होती है। ये गोठान डंकिनी नदी पर बना ब्रिज है। इसे गोठान कहना ग़लत भी नहीं होगा क्योंकि सुबह के वक्त इस ब्रिज पर दर्जन भर से ज़्यादा मवेशियों को आराम फ़रमाते देख सकते हैं। ये बेचारे आने जाने वाले राहगीरों को कभी परेशान भी नहीं करते। फिर कुछ घंटों बाद ये यहाँ से चले जाते हैं। अगली सुबह फिर पहुँच जाते हैं। ये क्रम लंबे समय से देखने को मिल रहा है। अब भला किसी को परेशानी न हो, कोई हादसा न हो तो इन बेज़ुबानो को क्यों हटाया जाये।

चलते-चलते
जिला अस्पताल का शिशु वार्ड और प्रसूति वार्ड जल्द ही नए क्लेवर में नज़र आएगा। जिला अस्पताल की एक टीम ने बाल गोपाल रायपुर अस्पताल का अवलोकन किया और वहां मिल रही सुविधाओं के बारे में बारीकी से जाना। टीम वापस लौट चुकी है और प्रबंधन द्वारा एक प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे उच्च अधिकारियों को दिखाकर जल्द काम शुरू किया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इससे पहले भी कई बार ऐसे सपने जिले वासियों को दिखाते आएं पर आज तक काम कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर दंतेवाड़ा वासी टकटकी लगाए प्रबंधन की ओर देख रहे हैं। बहरहाल कांसेप्ट काफी अच्छा है अगर इस भी मेहनत हुई तो रिजल्ट काफी अच्छा आएगा और अन्दुरुनी इलाकों के ग्रामीणों को इसका भरपूर फायदा मिलेगा।

Kavi Sinha

संपादक, द दंतेवाड़ा फाइल्स

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