suni ansuni....दंतेवाड़ासुनी-अनसुनी

सुनी-अनसुनी (भाग-04)

अब हर सोमवार पढ़िए दंतेवाड़ा जिले से जुड़ी सुनी-अनसुनी बातें…

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश संगम और कवि सिन्हा की कलम से…

जुआरियों की पौ बारह
लोकसभा चुनाव के चलते वर्दीधारी इन दिनों मुख्यमार्गों के साथ ही नक्सल आपरेशन में व्यस्त हैं। इसका पूरा फायदा 52 पत्तियों के प्रेमियों में देखने को मिल रहा है। नक्सल आपरेशन घने जंगलों में चलता है और मुख्यमार्ग के चेकपोस्ट पर पहरा कायम है। बीच की जगह यानी जिला मुख्यालय से सटे गांव इन दिनों पत्ती प्रेमियों के लिये सेफ जोन साबित हो रहे है। जिले की पर्यटन नगरी हो या फिर व्यवसायिक नगरी, हर जगह पत्तियों पर जोर आजमाईश की जा रही है। न तो वर्दी का खौफ, और न ही दादाओं को इससे कोई आपत्ति है। पत्तियों के प्रेमियों के रूप में अब एक बार फिर पुराने खिलाडी मैदान में उतर चुके हैं। इन खिलाडियों को विरोधियों को टेकल करना भी अच्छी तरह आता है। शायद यही वजह है कि शराब, रूपये पैसे, कपडे के ही केस सामने आ रहे हैं।

सुराप्रेमियों में मायूसी
जिला मुख्यालय के सुराप्रेमियों में उस वक्त मायूसी छा गयी जब नवरात्र की पूर्व संध्या मयखाने पर ताला जड दिया गया। कारण था, परिसर के आसपास साफ सफाई का अभाव। ताला जडने की खबर सार्वजनिक होते ही सुराप्रेमी इस बात को लेकर परेशान नजर आये कि नवरात्र से एक दिन पूर्व ही ऐसा क्यों किया गया। दरअसल आम लोग जो नौ दिनों तक भक्तिभाव में डूबे रहते हैं वे पूर्व संध्या में आगामी कुछ दिनों का कोटा पूरा कर लेते हैं। ऐसे में इस तालाबंदी ने कई सुराप्रेमियों को थोडी देर के लिये मायूस कर दिया, लेकिन विकल्प तो था ही। फिर क्या था, लगा ली 12 किमी की दौड।

पब्लिक प्लेस में 303 और 12 बोर की बंदूक
बस्तर में 303 और 12 बोर की बंदूक का जिक्र होते ही दादाओं की याद आ जाती है। लेकिन ये क्या चुनाव से ठीक पहले नक्सल प्रभावित जिले में 303 और 12 बोर की बंदूकें देखने को मिल रही है। बंदूकधारी खुलेआम लेकर इसे चौक चौराहों में घूम रहे हैं। ये न तो नक्सली है और न ही आम आदमी । दरअसल इन दिनों पडोसी प्रांत से पहुंचे खाकीधारी भी इसी तरह के हथियार लेकर ड्यूटी कर रहे हैं।

हारी महतारी
महतारी वंदन योजना शुरू हुए चंद महीने ही बीते हैं कि सत्ताधारी पार्टी की एक महतारी को अपमान का सामना करना पडा। दरअसल केंद्र से पहुंचे एक बडे मंत्री का वो स्वागत नहीं कर सकी। सुरक्षा कारणों का हवाला देते उन्हें मंच के नजदीक जाने से रोका गया। फिर क्या था, स्वागत के लिये लाया हुआ फूल पटककर , गुस्से में लाल पीला होकर बाहर निकली तो गेट पर मान मनौव्वल का दौर शुरू हो गया। महतारी वापस आयी, मंत्री के स्वागत की कोशिश करने लगी लेकिन इस बार भी उसे निराशा ही हाथ लगी। दर्शक दीर्घा से वो आवाज लगाने लगी, जो चार दिन पहले आये वो स्वागत करने लगे हैं। खैर इस महतारी का दुःख जायज था, पार्टी के लिये लंबे समय से काम कर रही है, और जिला स्तर के पद पर भी आसीन हैं।

टप्पू सेना की विदाई
किरन्दुल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तपन दास अपनी सेना को लेकर भाजपा में प्रवेश कर चुके है। किरन्दुल में भाजपा नेता तपन दास को उनके कुछ करीबी लोग टप्पू भैया बोलते हैं और मशहूर सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा में टप्पू सेना अपने सोसायटी में कितना उधम मचाती है ये बात तो सभी जानते हैं। हमारे टप्पू भैया भी किरन्दुल में हमेशा अपनी शरारत के लिए जाने जाते हैं। तपन दास के भाजपा जाने के बाद उनके जगह जोविन्स पापाचन को नियुक्ति मिली, वैसे जोविन्स के लिए किरन्दुल की राजनीति को मैनेज करना बहुत बड़ी चुनौती है। टप्पू सेना भाजपा जाने के बाद अपनी शरारत से बाज आएगी या नहीं या फिर कोई बड़ी प्लांनिग के साथ कोई बड़ा हंगामा करेगी यह तो वक्त हो बताएगा।

प्राण जाये पर वाहन न जाये
जिला मुख्यालय के बस स्टैंड के एक बड़े भवन की मियाद खत्म हो चुकी है। आम लोगों के लिये इसे खतरा बताते पालिका ने खाली करा दिया। ताकि यदि बिल्डिंग का कोई हिस्सा गिरता भी है तो लोगों को नुकसान न हो। इसके लिये पालिका ने हाल ही में भवन के आसपास घेराबंदी भी है। इस घेराबंदी के चलते चार पहिया वाहन भवन के आसपास पार्क नहीं किये जा पा रहे, लेकिन आम लोग गर्मी से बचने, वाहन का इंतजार करने इस भवन का सहारा अब भी ले रहे हैं। लोगों के लिये खतरा तो बना हुआ ही है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि प्राण जाये पर किसी की वाहन न जाये। मतलब घेराबंदी के चलते आम लोग खतरे में और वाहन पूरी तरह सुरक्षित हो चले हैं।

और अंत में…
बुधवार को रामनवमीं पर्व धूमधाम से मनाने दंतेवाड़ा में तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस बार रामनवमीं में प्रमुख आकर्षण अघोरी शिवतांडव होगा तो वहीं बाहुबली हनुमान भी दंतेवाड़ा पधारेंगे। रामनवमीं पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिख रहा है। पूरा शहर भगवा रंग के झंडे, तोरण से सजाया गया है, जिसकी भव्यता देखते ही बन रही है…

Kavi Sinha

संपादक, द दंतेवाड़ा फाइल्स

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